Friday, April 6, 2012

Brics Summit ब्रिक्स शिखर सम्मेलन



ब्रिक्स शिखर सम्मेलन

ब्रिक्स 21वीं सदी का एक अनोखा सहयोगी तंत्र है, जिसका उदय विकासशील देशों के एक समूह के रूप में हुआ है पिछले पांच वर्षो में ब्रिक्स वैश्विक शक्ति समीकरणों में हो रहे बदलाव के प्रतीक के तौर उभरा है इस 29 माच को भारत में पहली बार इसकी बैठक होने वाली है एक संगठन के तौर पर ब्रिक्स की अहमियत और इस बैठक के एजेंडे पर केंद्रित आज का नॉलेज

विश्व की निगाहें ब्रिक्स की ओर

ब्रिक्स 21वीं सदी का एक अनोखा सहयोगी तंत्र है, जिसका उदय विकासशील देशों के एक समूह के रूप में हुआ है पिछले दशक में इसने बहुस्तरीय सहयोगी ढांचा विकसित किया है पिछली बैठक में दषिाण अफ्रीका के भी इस समूह में शामिल हो जाने से ब्रिक्स की ताकत ब़ढी है अब इसमें एशिया, अफ्रीका, यूरोप और अमेरिका का प्रप्रतिनिधित्व भी हो गया है इससे ब्रिक्स के प्रप्रतिनिधित्व और प्रभाव का विस्तार ही हुआ है फिलहाल, पांच देशों के इस समूह में विश्व का 30 प्रतिशत भू-भाग और 43 प्रतिशत आबादी शामिल है विश्व का 18 प्रतिशत सकल घरेलू उत्पाद और कुल व्यापार का 15 फीसदी हिस्सा इन्हीं देशों में होता है 2001 से 2011 के बीच व्यापार की बात करें, तो इन देशों के बीच इसमें 28 प्रतिशत की वृद्धि हुइ है यह ब़ढकर 230 अरब डॉलर का हो गया है

सबसे खास बात यह कि ब्रिक्स देश विश्व की सवाधिक तेजी से ब़ढती अथव्यवस्थाएं हैं यह अलग बात है कि ये देश अपनी अथव्यवस्था के पुनगठन, स्वस्थ एवं टिकाऊ विकास के लिए समान चुनौतियों और समस्याओं का सामना कर रहे हैं ऐसे में ब्रिक्स ने पांचों देशों को विकास संबंधी अनुभवों को साझा करने का महत्वपूण मंच मुहैया कराया है इसके जरिये ये देश साथ-साथ काम करके न सिफ विकास के रास्ते में आने वाली बाधाओं को दूर कर सकते हैं, बल्कि आपसी सहयोग की मजबूत आधारशिला भी रख सकते हैंl

साउथ-साउथ बैंक

ब्रिक्स देश इस बैठक में जो दूसरी सबसे महत्वपूण घोषणा करने वाले हैं, वह है 'साउथ-साउथ विकास बैंक' ब्रिक्स देशों का अपना विकास बैंक स्थापित करने का प्रस्ताव सबसे पहले भारत ने रखा था उसके द्वारा यह सुझाव मैक्सिको में हुए ब्रिक्स देशों के वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंकों के संचालकों की एक बैठक में दिया गया था अब अन्य देशों ने भारत के इस प्रस्ताव का समथन किया है इस संबंध में रूस के राजनीतिक अध्ययन संस्थान के विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे बैंक की स्थापना हो जाने से ब्रिक्स देशों के समूह को एक स्पष्ट संस्थागत रूप दिया जायेगा एक साझे विकास बैंक के निमाण से इन देशों की अथव्यवस्था के विकास को अतिरिक्त मदद मिलेगी

यदि इस तरह का साझा विकास बैंक स्थापित किया जाता है, तो इसका वित्त-पोषण बहुत सस्ते में किया जा सकेगा यह बैंक में एक अध-सरकारी बैंक होगा, जिसका मुख्य मानदंड निवेश परियोजना पर लगे धन को बहुत जल्दी लौटाना नहीं होगा ब्रिक्स देशों को इसका सबसे अधिक फायदा होगा, क्योंकि अभी विश्व बैंक और अंतरराष्ट­ीय मुद्रा कोष से वित्तीय मदद शर्तो के आधार पर मुहैया कराया जाता है आम तौर पर ऐसा होता है कि विकास बैंक के पास कइ अन्य वित्तीय संस्थानों की तुलना में पैसा काफी ह्लयादा होता है इसलिए यह बैंक नये उद्योगों और नये उत्पादों के विकास एवं रोजगार के नये अवसर पैदा करने में योगदान दे सकता हैl

ब्रिक्स आदान-प्रदान गठबंधन

ब्रिक्स शिखर बैठक में दुनिया के 5 प्रमुख देश ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दषिाण अफ्रीका वैश्विक स्थिरता, सुरषा और समृद्धि जैसे मुद्दों पर चचा करेंगे हालिया समय में वैश्विक व्यवस्था और विश्व समुदाय के सामने जलवायु परिवतन, खाद्य एवं ऊजा सुरषा, सतत विकास, अंतरराष्ट­ीय वित्तीय संकट और अंतरराष्ट­ीय आतंकवाद जैसी चुनौतियां सामने आयी हैं ऐसे में ब्रिक्स जैसे देशों की अहमियत काफी ब़ढ गयी है आपसी सहयोग, सामाजिक चुनौतियों, जलवायु परिवतन और ऊजा, खाद्य एवं पानी, स्वास्थ्य, शिषा और व्यापार जैसे मुद्दों के अलावा इस बैठक में दो महत्वपूण घोषणाएं हो सकती हैं जिस पर सबकी निगाहें होगी इसमें पहली घोषणा-ब्रिक्स आदान-प्रदान गंठबंधन इसके तहत सदस्य देश निवेशकों को घरेलू करेंसी के आदान-प्रदान का विकल्प मुहैया करायेंगे इससे निवेशकों को निवेश करने के अलावा व्यापार आदि में काफी मदद मिलेगी गौरतलब है कि इन देशों ने वैश्विक शेयर बाजारों में संयुक्त रूप से प्रवेश करने का एक सिलसिला शुरू कर दिया है पिछले सालशेयर बाजारों के विश्व संघ की एक बैठक में इन पांच देशों ने ऐसे सात शेयर बाजारों को तय किया था, जिनमें वे संयुक्त रूप से निवेशकरेंगे

उनका लक्ष्य एक-दूसरे को बीमा सुरषा प्रदान करना है संयुक्त निवेशों को जोखिमों से बचाना है इसकी बदौलत खुद ब्रिक्स देशों के शेयर बाजारों की तरलता ब़ढ जायेगी वैश्विक अथव्यवस्था के अन्य षोत्रों से निवेशकों के साथ आपसी सूझ-समझ ब़ढाने में भी सहायता मिलेगी इन बातों के अलावा, शिखर सम्मेलन में युआन में आपसी ऋण की मात्रा ब़ढाने की एक चीनी पहल पर भी चचा होगी ऐसा करने के लिए चीन के विकास बैंक ने शिखर सम्मेलन के भागीदारों द्वारा हस्ताषार करने के लिए एक ज्ञापन-समझौता तैयार कर लिया है इससे पहले ब्रिक्स देशों के नेता आपसी व्यापार संबंधों में भुगतान के लिए अपनी राष्ट­ीय मुद्राओं का उपयोग करने के विचार पर सहमति जता चुके हैंl

ब्रिक्स यानी पांच का दम

ब्रिक्स दुनिया की पांच उभरती हुइ अथव्यवस्थाओं का एक समूह है ये पांच देश हैं-ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दषिाण अफ्रीकाl साल 2011 से पहले दषिाण अफ्रीका के इस समूह से जुड़ने से पहले इसे 'ब्रिक' ही कहा जाता था गौरतलब है कि ब्रिक शब्दावली के जन्मदाता जिम ओ-नील हैं, जिन्होंने इसका प्रयोग सबसे पहले वष 2001 में अपने एक शोधपत्र में किया था शोधपत्र का शीषक था, बिल्डिंग बेटर ग्लोबल इकोनॉमिक ब्रिक्स ओ-नील अंतरराष्ट­ीय वित्तीय कंसल्टेंसी गोल्डमैन सैक्स से जुड़े थे गोल्डमैन सैक्स ने तक दिया था कि 2050 तक इन देशों की अथव्यवस्था अन्य देशों से भी अधिक बड़ी हो जायेगी

जिम ओ-नील के इस प्रसिद्ध शोधपत्र के आठ साल बाद ब्रिक देशों की पहली शिखर स्तर की आधिकारिक बैठक 16 जून 2009 को रूस के येकातेरिनबग में हुइ लेकिन, इससे पहले ब्रिक देशों के विदेश मंत्री मइ 2008 में एक बैठक कर चुके थे गौरतलब है कि शुरू में ब्रिक्स देश आथिक मुद्दों पर एक साथ काम करना चाहते थे, लेकिन इनमें से कुछ के बीच राजनीतिक विषयों पर काफी विवाद हैं इन विवादों में भारत और चीन के बीच सीमा विवाद प्रमुख है संबंधों में गमजोशी के बावजूद भारत और चीन एक-दूसरे को एक विवादित और सैन्यीकृत सरहद के आर-पार खड़े पाते हैं इतना ही नहीं, भारत चीन के पाकिस्तान के साथ संबंधों के बारे में भी असहज महसूस करता है इतना ही नहीं, अभी इन पांच देशों के बीच ब्रिक्स को औपचारिक शक्ल देने पर भी व्यापक सहमति नहीं बन पायी है मसलन, ब्रिक्स का सेक्रेटेरिएट बनाने पर भी फिलहाल कोइ सहमति नहीं हो पायी है साथ ही, इस विषय पर भी कोइ साफ विचार नहीं है कि समूह में नये सदस्यों को कैसे और कब शामिल किया जाये रूस, ब्राजील और चीन में हुए सम्मेलन किसी ठोस नतीजे पर नहीं पहुंचे थे इसके अलावा भारत, ब्राजील और दषिाण अफ्रीका में मजबूत लोकतांत्रिक व्यवस्था है ये देश अमेरिका के साथ अपने नजदीकी संबंधों के लिए जाने जाते हैं इसी समूह में चीन भी है, जहां साम्यवादी शासन है और वहां गैर-कम्युनिस्ट राजनीतिक गतिविधियों के लिए सहनशीलता न के बराबर हैl

दिल्ली बैठक का एजेंडा

चौथी ब्रिक्स शिखर बैठक का आयोजन आगामी 29 माच को नयी दिल्ली में होने जा रहा है, जहां दुनिया के 5 प्रमुख देश ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दषिाण अफ्रीका वैश्विक स्थिरता, सुरषा और समृद्धि जैसे मुद्दों पर चचा करेंगे हालिया समय में वैश्विक व्यवस्था और विश्व समुदाय के सामने जलवायु परिवतन, खाद्य एवं ऊजा सुरषा, सतत विकास, अंतरराष्ट­ीय वित्तीय संकट और अंतरराष्ट­ीय आतंकवाद जैसी चुनौतियां सामने आयी हैं ऐसे में ब्रिक्स जैसे देशों की अहमियत काफी ब़ढ गयी है

ब्रिक्स आदान-प्रदान गंठबंधन और साउथ-साउथ बैंक की घोषणा के अलावा पांच देशों की बैठक में सीरिया, इरान और यूरो संकट के मुद्दे पर भी चचा होने की उम्मीद है इसके अलावा स्थानीय सहयोग के मुद्दे पर भी घोषणापत्र जारी होने की बात की जा रही है गौरतलब है कि चीन के सान्या में पिछली बैठक के दौरान कुछ महत्वपूण मुद्दों पर चचा हुइ थी, उन पर बात आगे ब़ढने की उम्मीद है अंतरराष्ट­ीय मुद्रा कोष (आइएमएफ) में सुधार पर भी चचा होगी, क्योंकि रूस पहले इसमें सुधार की बात कह चुका है इसके अलावा, सीरिया में जो हालात बने हुए हैं, उसे लेकर वैश्विक राजनीति पर भी बात होगी अमेरिका द्वारा इरान पर प्रतिबंध लगाये जाने और भारत एवं चीन द्वारा उन प्रतिबंधों को समथन नहीं देने से जो हालात उत्पत्र हुए हैं, यह मुद्दा भी बैठक में उछल सकता है गौरतलब है कि अमेरिका ने अप्रत्यषा तौर पर कहा है कि यदि भारत और चीन, इरान से कच्चे तेल का आयात जारी रखते हैं, तो वह इन दोनों देशों पर भी कुछ हद तक पाबंदी लगा सकता है ब्रिक्स 21वीं सदी का एक अनोखा सहयोगी तंत्र है, जिसका उदय विकासशील देशों के एक समूह के रूप में हुआ है पिछले पांच वर्षो में ब्रिक्स वैश्विक शक्ति समीकरणों में हो रहे बदलाव के प्रतीक के तौर उभरा हैl

कब-कब हुइ शिखर बैठक

बैठक तारीख मेजबान देश जगह



पहली 16 जून, रूस येकातेरिनबग

2009



दूसरी 16 अप्रैल ब्राजील ब्राजीलिया

2010



तीसरी 14 अप्रैल चीन सान्या

2011



चौथी 29 माच भारत नयी दिल्ली

2012 (बैठक होनी है)


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